आईवीएफ में जुड़वा बच्चे की संभावना कितनी होती है?
प्राकृतिक गर्भधारण में जुड़वा बच्चों की संभावना लगभग 1 से 2% होती है। वहीं, आईवीएफ में जुड़वा बच्चे की संभावना 20 से 30% तक हो सकती है, खासकर तब जब एक से ज्यादा भ्रूण ट्रांसफर किए जाते हैं। यह संभावना इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि IVF Treatment में डॉक्टर्स कभी-कभी दो या अधिक भ्रूण (embryos) ट्रांसफर करते हैं ताकि प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सके। ऐसे में दोनों भ्रूण गर्भाशय में स्थापित हो जाएं तो जुड़वा गर्भधारण हो सकता है।जुड़वा बच्चे होने के मुख्य कारण (IVF प्रक्रिया में)
आईवीएफ में जुड़वा गर्भधारण कुछ विशेष कारणों की वजह से ज्यादा होता है: 1. एक से ज्यादा भ्रूण ट्रांसफर किया जाना कई बार IVF test tube baby centre in jalandhar के दौरान डॉक्टर दो भ्रूण ट्रांसफर करते हैं, ताकि कम से कम एक सफल प्रेगनेंसी हो सके। लेकिन अगर दोनों भ्रूण विकसित हो जाएं, तो जुड़वा गर्भधारण हो जाता है। 2. महिला की उम्र और हार्मोनल दवाइयां IVF में इस्तेमाल की जाने वाली हार्मोनल दवाइयों से ओवरी कई अंडाणु बना सकती है। इससे अधिक भ्रूण बनते हैं और जुड़वा या ट्रिपलेट्स होने की संभावना बढ़ती है। 3. भ्रूण की गुणवत्ता अगर भ्रूण की गुणवत्ता अच्छी हो, तो उसकी गर्भाशय में पकड़ने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार दो भ्रूण एक साथ स्थापित हो जाते हैं।आईवीएफ से जुड़वा बच्चे होने के फायदे
कुछ दंपत्तियों के लिए जुड़वा गर्भधारण खुशी की बात होती है:- एक बार में दो बच्चे – फॅमिली जल्दी पूरी हो जाती है।
- खर्च और समय की बचत – IVF प्रक्रिया खर्चीली होती है, तो एक ही चक्र में दो बच्चे होना फायदेमंद हो सकता है।
- मानसिक संतुष्टि – कई बार लंबे समय से संतान की चाह रखने वाले कपल्स को ज्यादा संतुष्टि मिलती है।
जुड़वा गर्भधारण से जुड़ी चुनौतियाँ
जहाँ IVF में जुड़वा गर्भधारण फायदेमंद लग सकता है, वहीं इसके कुछ जोखिम भी होते हैं: 1. प्री-मैच्योर डिलीवरी (असमय प्रसव) जुड़वा बच्चों का जन्म अक्सर 36 सप्ताह से पहले हो जाता है। इससे बच्चों को NICU में देखभाल की जरूरत पड़ सकती है। 2. माँ की सेहत पर असर जुड़वा प्रेगनेंसी में माँ को ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एनीमिया जैसी परेशानियां हो सकती हैं। मॉनिटरिंग अधिक जरूरी हो जाती है। 3. ज्यादा मेडिकल जांच और निगरानी इस तरह की प्रेगनेंसी में बार-बार अल्ट्रासाउंड और टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं, जिससे मानसिक और आर्थिक दबाव बढ़ता है।क्या सिंगल भ्रूण ट्रांसफर सही विकल्प है?
आजकल कई डॉक्टर सिंगल एम्ब्रियो ट्रांसफर (SET) की सलाह देते हैं। इसमें सिर्फ एक भ्रूण ट्रांसफर किया जाता है ताकि जुड़वा गर्भधारण का जोखिम कम हो। अगर महिला की उम्र कम है और भ्रूण की गुणवत्ता अच्छी है, तो सिंगल ट्रांसफर से भी प्रेगनेंसी के अच्छे चांस होते हैं। इससे जुड़वा गर्भधारण से जुड़ी जटिलताएं भी कम हो जाती हैं।IVF में जुड़वा बच्चों को लेकर आम मिथक
- हर IVF में जुड़वा बच्चे होते हैं: सच – नहीं, IVF से जुड़वा गर्भधारण जरूर संभव है, लेकिन यह हर केस में नहीं होता।
- जुड़वा बच्चे IVF से कमजोर होते हैं: सच – IVF से जन्मे जुड़वा बच्चे सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं। बस, समय से पहले जन्म लेने पर उनकी खास देखभाल करनी पड़ती है।
- जुड़वा बच्चों का IQ कम होता है: सच – इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। बच्चों का मानसिक विकास उनके पोषण और परवरिश पर निर्भर करता है।
डॉक्टर से क्या पूछें?
जब आप IVF प्रक्रिया के लिए जा रहे हों, तो डॉक्टर से इन बातों पर खुलकर चर्चा करें:- आपके केस में आईवीएफ में जुड़वा बच्चे की संभावना कितनी है?
- सिंगल भ्रूण ट्रांसफर बेहतर है या दो?
- जुड़वा गर्भधारण की स्थिति में क्या विशेष देखभाल करनी होगी?
- प्रेगनेंसी के दौरान कितनी बार जांच करवानी पड़ेगी?