आज की तेज़ जिंदगी में जब कई दंपति प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन पाते, तो IVF यानी In-Vitro Fertilization एक नई उम्मीद लेकर आता है। लेकिन इसी तकनीक से जुड़ा एक सवाल लोगों के मन में बार-बार आता है — क्या IVF में अपनी मर्ज़ी से लड़का या लड़की चुन सकते हैं? यह सिर्फ तकनीकी सवाल नहीं, सामाजिक और कानूनी नजरिए से भी बेहद अहम है।
अगर एक वाक्य में कहें की क्या IVF में अपनी मर्जी से लड़का या लड़की पैदा कर सकते हैं? तो इसका सही जवाब है – “नहीं, IVF में अपनी मर्ज़ी से लड़का या लड़की चुनना भारत में गैर-कानूनी और नैतिक रूप से गलत है।”
इस लेख में हम इसी सवाल का जवाब सरल और स्पष्ट भाषा में देंगे। और अगर आप पंजाब में IVF treatment की सोच रहे हैं, तो Vardaan Hospital एक भरोसेमंद विकल्प बनकर उभर रहा है।
IVF क्या होता है?
IVF का पूरा नाम है In-Vitro Fertilization, जिसे हम आम भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया कहते हैं। इसमें महिला और पुरुष के अंडाणु (egg) और शुक्राणु (sperm) को शरीर के बाहर लैब में मिलाया जाता है। जब भ्रूण (embryo) बन जाता है, तब उसे महिला के गर्भाशय (uterus) में रखा जाता है।
इस प्रक्रिया का इस्तेमाल तब किया जाता है जब प्राकृतिक रूप से गर्भ ठहरने में दिक्कत हो। जैसे — महिला की उम्र ज्यादा हो, फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो, या शुक्राणु की संख्या कम हो।
IVF एक चिकित्सकीय सहारा है, जो उन दंपतियों को संतान सुख देता है जो कई सालों से संघर्ष कर रहे होते हैं।
क्या IVF में बच्चे का लिंग तय किया जा सकता है?
यह सवाल बहुत आम है — “क्या IVF में लड़का या लड़की अपनी मर्ज़ी से चुन सकते हैं?” जवाब थोड़ा पेचीदा है।
तकनीकी रूप से देखा जाए तो भ्रूण के लिंग की पहचान करना संभव है। इसे Preimplantation Genetic Testing (PGT) कहते हैं। इस जांच में भ्रूण को गर्भ में रखने से पहले यह देखा जा सकता है कि उसमें कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं, और साथ ही उसका लिंग भी पता चल सकता है।
लेकिन सिर्फ इसलिए भ्रूण का लिंग पता लगाना कि आपको लड़का या लड़की चुननी है, यह चिकित्सा की भावना के खिलाफ है। और भारत में यह पूरी तरह गैर-कानूनी है।
भारत में लिंग चयन के कानून क्या कहते हैं?
भारत में लिंग चयन पर सख्त कानून हैं। इसका मुख्य कारण है देश में लड़का-लड़की के अनुपात में असंतुलन।
भारत में PCPNDT Act (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act) लागू है, जो किसी भी प्रकार से लिंग पता करने या लिंग चयन पर रोक लगाता है। चाहे वो सामान्य गर्भ हो या IVF के ज़रिए हो — लड़का या लड़की चुनना कानून के खिलाफ है।
अगर कोई IVF सेंटर भ्रूण के लिंग की जांच कर रहा है सिर्फ लिंग पता करने के लिए, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है, लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, और डॉक्टर को सज़ा हो सकती है।
दुनिया में कहां-कहां लिंग चयन की इजाज़त है?
कुछ देशों में IVF के जरिए लिंग चयन की सीमित छूट है। उदाहरण के लिए:
- अमेरिका (USA) में दंपति चाहें तो IVF के ज़रिए लड़का या लड़की चुन सकते हैं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।
- यूके (UK) में सिर्फ तभी लिंग चयन की इजाज़त है जब किसी खास बीमारी से बचाव करना हो, जैसे कि कोई लिंग से जुड़ी जेनेटिक बीमारी हो।
- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और जर्मनी जैसे देशों में भी बिना मेडिकल कारण के लिंग चयन की अनुमति नहीं है।
इसका मतलब यह है कि विश्व स्तर पर भी लिंग चयन एक संवेदनशील मुद्दा है, और ज़्यादातर देश इसे नियंत्रित करते हैं।
क्या लिंग चयन सही है? – सामाजिक और नैतिक नजरिया
लिंग चयन सिर्फ तकनीकी सवाल नहीं है, यह सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी से जुड़ा है।
अगर लोग सिर्फ लड़का चुनने लगे, तो समाज में लड़कियों की संख्या घट जाएगी। इसका असर सिर्फ परिवार पर नहीं, पूरी पीढ़ी पर पड़ेगा।
भारत जैसे देश में, जहां पहले से लड़कियों की संख्या कम है, वहां IVF जैसे तकनीकों का गलत इस्तेमाल समाज को और कमजोर कर सकता है।
इसलिए लिंग चयन को नैतिक रूप से गलत माना जाता है। डॉक्टरों और नीति-निर्माताओं का भी यही मानना है कि इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
IVF में कौन से फैसले आप ले सकते हैं, और कौन से नहीं?
IVF आपको कुछ हद तक चुनाव की सुविधा देता है, लेकिन ये सीमित होती है।
क्या चुन सकते हैं?
- आप स्वस्थ भ्रूण चुन सकते हैं, जिसमें कोई जेनेटिक बीमारी ना हो।
- आप यह तय कर सकते हैं कि एक या दो भ्रूण गर्भ में रखे जाएं।
- आप प्रक्रिया की टाइमिंग और डॉक्टर चुन सकते हैं।
क्या नहीं चुन सकते?
- आप IVF में बच्चे का लिंग नहीं चुन सकते। यह भारत में प्रतिबंधित है।
- IVF से बच्चे की आंखों का रंग, त्वचा का रंग, या कोई भी दिखावटी विशेषता तय करना भी मुमकिन नहीं और नाजायज़ है।
इसलिए IVF को इच्छाओं का नहीं, जरूरतों का इलाज समझें।
निष्कर्ष (Conclusion)
IVF एक चमत्कारी तकनीक है जो कई दंपतियों को माता-पिता बनने का सुख देती है। लेकिन इसका इस्तेमाल समझदारी से और कानून के दायरे में रहकर करना ज़रूरी है। भारत में लिंग चयन पूरी तरह अवैध है, चाहे वो सामान्य गर्भावस्था हो या IVF प्रक्रिया। इसलिए IVF से आप स्वस्थ संतान की आशा रखें, न कि उसकी पहचान चुनने की चाह। यह एक वैज्ञानिक समाधान है, मन की मुराद पूरी करने का तरीका नहीं।
अगर आप Punjab में सबसे भरोसेमंद और नैतिक IVF सेंटर ढूंढ रहे हैं, तो IVF clinic in Amritsar Vardaan Hospital आपके लिए सही जगह है — यहां मिलता है विश्वसनीय इलाज, अनुभवी विशेषज्ञ और मानवीय देखभाल।
सही जानकारी लें, समय पर फैसला करें और IVF को समझदारी से अपनाएं — ताकि आपकी उम्मीदें भी सच हो सकें।